अखिल भारतीय औदीच्‍य महासभा का राष्ट्रीय स्‍वरूप


  अखिल भारतीय औदीच्‍य महासभा का राष्ट्रीय स्‍वरूप
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  अखिल भारतीय औदीच्‍य महासभा शतायु से अधिक उम्र की होकर अब अपने तेजस्‍वी स्‍वरूप के व्‍दारा औदीच्‍य समाज का कायाकल्‍प कर रही है । साधुवाद के पात्र है हमारे पूर्व सभी महासभा अध्‍यक्ष जिनके व्‍दारा महासभा को उसके गठन से लेकर अभी तक उर्जावान बनाये रखा ।
   सम्‍मेलनो,अधिवेशनों आदि के माध्‍यम से समाज सुधार के अनेकों प्रस्‍ताव पारित हुए जिनमें कुछ अमल में आये और कुछ प्रस्‍तावों में उलझ कर रह गये किन्‍तु महासभा ने हार नहीं मानी और प्रगति पथ पर अपने कदम बढाती रही । महासभा की कार्यकारिणी में सभी प्रान्‍तों के सदस्‍यों को लेकर अ;भा; स्‍वरूप दिया गया किन्‍तु महासभी बौनी की बौनी रह गई । महासभा की यह विशाल व़क्ष अपने तने पर बडी शाखाओं को प्रस्‍फ़टित कर हरियाली नही ला सका और हरियाली के अभाव में पंछी अपने कलरव से महरूम रहे । पहले भी उर्जावान विव्‍दान अध्‍यक्षों ने कई नये प्रयोग करने का प्रयास किया किन्‍तु अखिल भारतीय स्‍तर पर महासभा को विकसित नहीं कर सके। स्‍व;श्री रामचन्‍द्र जी पाण्‍डे ने महिला और युवाओं के सम्‍मेलन कर उनको संगठित करने का अवश्‍य प्रयास‍ किया था ।
   सहस्‍त्र औदीच्‍य समाज के लिये गौरव की बात है कि अ;भा;महासभा को श्री रघुनन्‍दन जी शर्मा जैसे कुशल संगठक,प्रशासक,समाज की आत्‍मा को पहचानने वाले,अपने बुध्दि चातुर्य से कुछ कर दिखाने वाले अध्‍यक्ष मिले और उन्‍होने अध्‍यक्ष पद ग्रहण करते ही महासभा को गति देना प्रारम्‍भ कर दिया ।
   आपने सर्वप्रथम महासभा का राष्‍टीय स्‍वरूप देने की दिशा में मध्‍यप्रदेश में श्री प्रकाश जी दुबे,राजस्‍थान में श्री
और महाराष्‍ट प्रान्‍त में श्री मोहन दवे को अध्‍यक्ष बनाया जाकर उनकी कार्यकारिणी का गठन कराया । इन प्रान्‍तों में महासभा का सदस्‍य शेष प्रान्‍तों में भी कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया चल रही है । महाराष्ट्र  प्रान्‍त में कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह में मध्‍यप्रदेश प्रान्‍त के सदस्‍यों को वहां लेजाकर एक दूसरे की संस्‍क़ति और प्रक़ति से परिचित कराया ।
    इसी प्रकार मालवा क्षेत्र से लगभग 350 सदस्‍यों का समूह श्री रघुनन्‍दन जी की प्रेरणा और श्री सत्‍यनारायण जी त्रिवेदी महासभी उज्‍जैन जिला ग्रामीण इकाई के अध्‍यक्ष के नेत़त्‍व में औदीच्‍य समाज के उदगम स्‍थल सिध्‍दपुर की यात्रा पर गया जो समाज के इतिहास में अब तक की सबसे बडी सिध्‍द और एतिहासीक यात्रा थी।
      आपने समय पर कार्यकारिणी की बैठकों के माध्‍यम से समाज हित के लिये विचार कर उन्‍हे कार्यरूप देने की प्रक्रिया प्रारम्‍भ की। महासभा का सं‍विधान संशोधित किया गया। औदीच्‍य समाज के इतिहास को नये सिरे से संकलित करने का कार्य भी पूर्णता की ओर है। उज्‍जैन में महासभा की साधारण सभा की बैठक में कई समाजोन्‍नति के निर्णय लिये गये ।
   श्री गोविन्‍दराम छात्रवास इन्‍दौर में स्थित अ;भा;औदीच्‍य महासभा के केन्द्रिय कार्यालय  को नया स्‍वरूप देकर कम्‍प्‍यूटर की व्‍यवस्‍था के साथ महासभा की जानकारी उसमें अंकित की जा रही है। इस प्रकार महासभा ने इनके कार्यकाल में चहुमुखी उन्‍नति करते हुवे समाज को प्रगति में मैदान में उतारा है।
    अ;भा; औदीच्‍य महासभा को अब कठोर व कडवे निर्णय कुछ विषयों में लेना होगे ।

  •     सर्व प्रथम तो विभिन्‍न प्रान्‍तों और स्‍थानों में औदीच्‍य समाज के कई वर्ग निवास कर वहां के रीति रिवाजों से घुल मिल गयें हैं । इन सबका आपस में आत्‍मीय मिलन कराना होगा। इससे वैवाहिक संबंधों में आ रही कठिनाईयों निजात मिलने के साथ ही आचार विचार और व्‍यवहार को समझने में सहायता मिलते हुए युवाओं के लिये प्रगति के व्‍दार खुल जायगें।
  •     महासभा को इतना प्रभावी भी बनना होगा कि उसके व्‍दारा लिए गये निर्णयों को सर्वमान्‍यता मिले और समाज के लोग शिरोधार्य करे ।
  •     महासभा के सदस्‍यता अभियान को अभी कही सफलता मिल रही है तो कहीं शुन्‍यता । इसलिए इस ओर विशेष ध्‍यान देकर कुछ निर्णय करना होगें । 
  •    अभी समाज के सदस्‍यों में यह भावना भी पनप रही है कि केवल सदस्‍य बना कर राशि एकत्रित की जा रही है। समाज के हितार्थ कुछ ऐसे नये कार्यक्रम भी देना होगें जिससे बचपन से पचपन तक सभी इसकी छत्रछाया में आकर सुकुन महसूस कर सके । 

जय गोविन्‍द माधव । 
उघ्‍दव जोशी 
उज्‍जैन

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