कोटा 9/03/2013-- अ; भा; औदीच्‍य महासभा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक सम्‍पन्‍न।

 अ; भा; औदीच्‍य महासभा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक सम्‍पन्‍न।
 प्रस्तुत कर्ता- उद्धव जोशी
दिनांक 9/3/2013 शनिवार, आयोजन, अ;भा; औदीच्‍य महासभा की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी एवं राजस्‍थान प्रदेश प्रान्‍तीय कार्यकारिणी की बैठक। 
आयोजन स्‍थल-  सहस्‍त्र औदीच्‍य नानी सम्‍वाय श्री लक्ष्‍मीकान्‍त मन्दिर बैराज रोड, टिपटा, कोटा, 
आयोजक अ;भा; औदीच्‍य महासभा राजस्‍थान प्रान्‍त एवं कोटा सभाग। 

प्रांगण् में प्रवेश करते ही आत्‍मीयता के साथ् अतिथियों का कुकंम तिलक लगाकर नाम पंजीयन के साथ एक हेण्‍ड बेग एवं डायरी सभी आगन्‍तुक अतिथियों को प्रदान की गई । 

श्री वृजवल्‍लभ शर्मा, अध्‍यक्ष अ;भा; औदीच्‍य महासभा कोटा संभाग ने निर्धारित समय प्रात: 11 बजे अपनी सशक्‍त, ओजपूर्ण शैली एवं श्री गोविन्‍द माधव भगवान के जयकारे के साथ बैठक प्रारम्‍भ् करने की घोषणा कर सर्वप्रथम अतिथि गण श्री रघुनंदन जी शर्मा, राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष् ,अ;भा; औदीच्‍य महासभा एवं सांसद राज्‍य सभा, श्री हरिकुमार औदीच्‍य, पूर्व शिक्षा मंत्री राजस्थान प्रान्‍त, श्री उदयसिंह जी पण्‍डया, वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष अ;भा; औ; महासभा, श्री हेमशंकर दीक्षित, अध्‍यक्ष राजस्‍थान प्रदेश इकाई, श्री मोहन दवे, अध्‍यक्ष्  महाराष्‍ट्र प्रदेश इकाई, श्री हीरालाल जी त्रिवेदी, सेवा निव्रत्त राजस्‍व आयुक्‍त म;प्र; शासन, श्री भगवानसिंह शर्मा, संगठन मंत्री, अ;भा; औदीच्‍य महासभा, श्री विनोदचन्‍द्र व्‍यास महामंत्री, श्री लक्ष्‍मीनारायण व्दिवेदी बांसवाडा, श्री रमेश पण्‍डया, से॰नि॰ एडीशनल कलेक्‍टर म;प्र; शासन, श्री सुभाष शर्मा, अध्‍यक्ष नगर निगम देवास को ससम्‍मान मंचासीन कराया। अतिथियों व्‍दारा श्री गोविन्‍द माधव के चित्र का पूजन एवं माल्‍यार्पण कर दीप प्रज्‍जवलित किया। परम्‍परानुसार सभी अतिथियों का पुष्‍पहार पहना कर भावभीना स्‍वागत किया। श्री हेमशंकर जी दीक्षित ने 'स्‍वागत उदबोधन' दिया । 
   इसके पश्‍चात श्री भगवानसिंह जी शर्मा, ने राष्ट्रीय  कार्यकारिणी की बैठक प्रारम्‍भ् करते हुऐ राजस्‍थान प्रदेश र्इकाई को धन्‍यवाद ज्ञापित किया। श्री उद्धव जोशी, उज्‍जैन ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की  गत बैठक की विवरणी का वाचन किया जिसकी पुष्‍टी की गई। 
   विषय सूचि के क्रमानुसार डॉ श्री मधु सूदन जी व्‍यास, उपाध्‍यक्ष म;प्र; इकाई ने,[श्री प्रकाश दुबे, अध्‍यक्ष् अ;भा; औ; महासभा मध्‍यप्रदेश् इकाई का स्‍वास्‍थ्‍य ठीक नहीं होने के कारण उनकी अनुपस्थिति में] प्रत्‍येक जिले में हुवे सदस्‍यता अभियान की विस्‍त्रत जानकारी देते हुए संकलित राशि का विवरण प्रस्‍तुत किया। आपने बताया की सबसे अधिक सदस्‍य उज्‍जैन जिला ग्रामीण् के अध्‍यक्ष श्री सत्‍यनारायण जी त्रिवेदी ने बनाये जो उनकी साधना और कार्यकुशलता का प्रतीक है। साथ जिलों में की गई बैठकों तथा आयोजनों के बारे में बताते हुए आगामी योजना पर भी प्रकाश डाला। आपने औदीच्‍य बन्‍धु वेबसाईड की जानकारी देते हुवे समाज के सदस्‍यों से आग्रह किया कि वे अपने अपने प्रान्‍त में होने वाली बैठको, आयोजन, धर्मशालाओं, प्रतिभाओं एवं अविवाहित युवा युवतियों की अध्यतन जानकारी लगातार भेजते रहें,  ताकि बेव साईड के माध्‍यम से समाज उसका लाभ ले सके।
     श्री मोहन दवे, अध्‍यक्ष्‍, अ;भा; औदीच्‍य महासभा महाराष्‍ट्र इकाई ने अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्‍तुत करते हुए कहा महाराष्‍ट्र इकाई का गठन अप्रेल 2012 में होकर अभी बाल्‍यावस्‍था में है। मुम्‍बई शहर व्‍यवसाय से जुडा हुवा है। इसके उपरान्‍त भी हमने मेधावी छात्रों का सम्‍मान, विधवा महिला को आर्थिक सहयोग, 3 वेद पाठशालाओं से जुडते हुवे समाज के युवकों को वेदाध्‍ययन के लिये प्रेरित करना, परिचय सम्‍मेलन तथा सामूहिक विवाह आयोजित करने वाली समाज की संस्‍थाओं के साथ् सहयोग करने तथा सदस्‍यता अभियान को भी गति दी जा रही है। अप्रेल 2013 में स्‍थापना दिवस मनाये जाने पर विचार किया जा रहा है। मुम्‍बई का आदमी अपने को कास्‍ट से नहीं क्लास से जोडता है। आपने उपस्थित सदस्‍यों से कहा कि उनके जो भी रिश्‍तेदार आदि मुम्‍बई में हो उनकी जानकारी हम तक पहुंचाये ताकि उनसे सम्‍पर्क कर सके।  
  श्री हेमशंकर जी दीक्षित, अध्‍यक्ष राजस्‍थान इकाई ने अपने उदबोधन में कहा कि महासभा की राजस्‍थान इकाई को अभी ढाई वर्ष का ही समय हुआ है। 36 जिलों में से 24 जिलों में महासभा का गठन कर सदस्‍यता अभियान जोर शोर से चलाया जा रहा है। सामूहिक आयोजनों को बढावा देने के साथ ही साथ सामूहिक यज्ञोपवित संस्‍कार कराये गये हैं। युवाओं को केरियर गाईडेन्‍स की व्‍यवस्‍था के साथ क्रेडिट काआपरेटिव सोसायटी बनाई गई जिससे आर्थिक लाभ् समाज को हो सके। 
   श्री उदयसिंह जी पण्‍डया ने अपने उदबोधन में कहा कि महासभा के सदस्‍यता अभियान के साथ निरन्‍तर सार्थक स्‍वरूप की बैठके करने से संगठन में मजबुती आती है। समाज के स्‍कूल, बैंक आदि होना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र को विकसित करने के लिये हर जगह अधिक से अधिक समाज के स्‍कूल खोलना होगा। इसी प्रकार बैंक एवं सहकारी सोसायटी भी हर जिला इकाई को खोलना चाहिए जिससे समाज को नई उर्जा मिल सकेगी। अध्‍यक्ष महोदय ने महासभा का जो विकेन्‍द्रीकरण् किया वह प्रशंसनीय है। 
   श्री हीरालाल जी त्रिवेदी ने कहा कि सामाजिक संगठन मजबूत हो। श्री शर्माजी के नेतृत्‍व में समाज के संगठन की पहचान हुई है, जो बधाई के पात्र हैं। हमारे संविधान में, जितने भी सुझाव दिये गये हैं उन सभी का समावेश है। संजीवनी कोष में अधिक से अधिक राशि एकत्रित होना चा‍हिए ताकि गंभीर बीमारी से पीडित व्‍यक्ति को यथा समय सहयोग मिल सके । राजस्‍व के संबंध में मैंने काफी अध्‍ययन किया है । पहले के समय में चौथ् वसूल होती थी। आज भी कर वसूल किया जाता है किन्‍तु पहले की अपेक्षा बहुत कम है। बच्‍चों के शैक्षणिक,शारीरिक विकास के लिए फण्‍ड होना चाहिए। वेदों में ब्राहमणों लिए जो निर्देश दिए गये हैं उसका पालन हमें करना चाहिए। छात्रावास का निर्माण तथा कोआपरेटिव सोसायटी का गठन आदि स्‍थानीय स्‍तर पर ही करना चाहिए। उत्‍तर प्रदेश में समाज का संगठन शीघ्र बनाया जावेगा। यदि समाज हित के कोई प्रश्‍न होगें तो उनका राष्ट्रीय स्‍तर पर निराकरण करेगें ।  
 अध्‍यक्ष् महोदय ने उपस्थित सदस्‍यों से सुझाव, ओर  प्रश्‍न आमंत्रित  किये ।
 उपस्थित सदस्‍यों व्‍दारा दिये गये सुझाव --निम्नानुसार हें। 
  •  मृदुला औदीच्‍य कोटा--- बालिकाओं की शिक्षा के लिऐ महासभा में फण्‍ड की व्‍यवस्‍था होना चाहिए ।
  • श्री रेवाशंकर जोशी उज्‍जैन --कोआपरेटिव सोसायटीयों का जिले वार गठन कर उसमें राशि डाली जावे ताकि युवाओं को रोजगार मिलेगा । 
  • श्री सत्‍यनारायण् जी कोटा - औदीच्‍य बन्‍धु के मप्र,राजस्‍थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रान्‍तों के अलग अलग परिशिष्‍ट निकाले जावें ताकि समाज के सदस्‍यों की रूचि के साथ सदस्‍य संख्‍या में वृध्दि हो सके ।  आपने यह बताया की सरकार व्‍दारा अन्य जाति में विवाह करने पर युवक युवतियों को प्रोत्‍साहन राशि 5 लाख् देने की घोषणा की गई है, इसका समाज पर विपरीत असर पडेगा। महासभा व्‍दारा इसका पुरजोर विरोध् किया जाना चाहिए। यहां परिषद भवन का निर्माण् किया जा रहा है। इसके लिए महासभा  भी सहयोग करे।
  • उर्मिला शर्मा कोटा - मातृशक्ति समाज हित के कार्यो को करने के लिये सदैव तैयार है। औदीच्‍य बन्‍धु पत्रिका के अधिक से अधिक सदस्‍य बनाने का प्रयास किया जावेगा । 
  • रमेश जोशी कोटा-औदीच्‍य समाज के आचार विचार शुध्‍द हों इसके लिए सभी को प्‍याज लहसुन का उपयोग करना छोडना चाहिए।  
  • गोपीवल्‍लभ् तिवाडी जयपुर - मथुरा में समाज की एक धर्मशाला होकर पर्याप्‍त बर्तन आदि भी है किन्‍तु वहां दबंग लोगों ने कब्‍जा कर लिया है। राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी से निवेदन है, कि वह इस पर उचित कार्यवाही करे। उत्‍तर प्रदेश् में महासभा, समाज का संगठन बनावे। बांसवाडा में हुई तीन बच्‍चों की हत्‍या की चर्चा भी की गई। संजीवनी कोष् की व्‍यवस्‍था प्रत्‍येक जिलास्‍तर पर होना चाहिए ताकि तत्‍काल संबंधितों को सहायता दी जा सके। औदीच्‍य बन्‍धु का शुल्‍क न्‍यूनतम रखा जावे ताकि अधिक से अधिक सदस्‍य बन सके, क्योकि यह व्‍यावसायिक पत्र नहीं है । 
  • दातारशंकर शर्मा उदयपुर- औदीच्‍य बन्‍धु की सदस्‍यता राशि को यदि महासभा की सदस्‍यता राशि में जोड दी जावे तो अधिकतम सदस्‍य बन सकेगें। 
  • विनय मेहता कोटा -  युवाओं को सांस्क़ृतिक एवं खेल गतिविधियों से जोड कर राज्‍य एवं जिला तहसील स्‍तर तक आयोजन किये जावे ताकि वे आपस में जुड सके। 

प्रथम सत्र की समाप्ति पर औदीच्‍य बन्‍धु के पितृपुरूष् स्‍व; श्री सुशीलकुमार जी ठाकर सा; को मौन श्रध्‍दांजली अर्पित की गई । 

भोजनोपरान्‍त राजस्‍थान प्रान्‍त की कार्यकारिणी की बैठक सम्‍पन्‍न हुई, जिसमें श्री हेमशंकर जी दीक्षित, अध्‍यक्ष राजस्‍थान प्रान्‍त ने सदन को संबोधित कर महासभा के सदस्‍यता अभियान, सामाजिक आयोजन,जाति संगठन आदि पर अपने विचार प्रगट किये ।
   इसके बाद चित्‍तोडगढ, भीलवाडा, जयपुर, प्रतापगढ, कोटा, बूंदी, झालावाड, बांसवाडा आदि जिलों के अध्‍यक्षों ने अपने जिलों की प्रगति एवं होने वाली कठिनाईयों की जानकारी प्रस्‍तुत की। अन्‍त मे श्री विनोदचन्‍द्र जी व्‍यास, महामंत्री अ;भा औदीच्‍य महासभा ने अपनी कठिनाई बताई।  औदीच्‍य बन्‍धु के प्रत्‍येक अंक में महासभा अध्‍यक्ष महोदय का संदेश छपना चाहिए, तथा महामंत्री का महासभा की गतिविधियों के संबंध में प्रतिवेदन भी छपना चा‍हिए ताकि महासभा  की गतिविधियों की जानकारी मिल सके ।  महासभा के अधिवेशन की अगली बैठक बांसवाडा में रखी जावे। परिचय सम्‍मेलन की तरह सामूहिक यज्ञोपवित आयोजन के लिए भी महासभा की और से सहयोग  राशि दी जाना चाहिए।
         श्री रघुनंदन जी शर्मा ने अपने उदबोधन में कहा कि मैंने सबके सुझाव, समस्‍या और प्रश्‍नों को सुना। आपने सर्वप्रथम औदीच्‍य बन्‍धु के पितृ पुरूष श्री सुशीलकुमार जी ठक्कर द्वारा औदीच्‍य बन्‍धु की सुद्रढता के लिये जीवन भर जो प्रयास किए वे प्रशंसा के योग्य हैं। इस तरह से आपने बन्‍धु को शिशु की तरह पाला और आर्थिक रूप से सशक्‍त बनाया। यह उनका समाज के प्रति समर्पण था। आपने उनके व्‍दारा लिखी गई अंतिम इच्‍छा के बारे में विस्‍तार से बताया। औदीच्‍य बन्‍धु का अगला अंक स्‍व; श्री ठक्कर साहब को समर्पित होगा। अत: उनके संबंध में जिसके पास पुराने फाटोग्राफस, बिताये गये यादगार क्षण,एवं विचार आदि हो तो शीघ्र भेजें ।
पूछे गए प्रश्नो के उत्तर देते हुए कहा की उत्‍तर प्रदेश में समाज के संगठन के बारे में कई माध्‍यमों से खबर भेजी गई किन्‍तु कोई भी आज तक इस कार्य करने के लिए आगे नहीं आया हे। बैंक, को आपरेटिव सोसायटी, शिक्षा संस्‍थान को बनाने के लिए स्‍वयं इकाईयों को प्रयास करना होगा। महासभा उसमें यथायोग्‍य सहयोग कर सकेगी। महिला शिक्षा के बारे में प्रस्‍ताव विचाराधीन है। संजीवनी कोष् के बारे में कहा कि इस कोष् में सहयोग राशि जमा नहीं हो रही है। इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा। मेरे पास यदि कोई गंभीर बीमारी से ग्रस्‍त व्‍यक्ति आता है तो मैं उसे शासन से पूरी सुविधा दिलाने में मदद करता हूं। जिन प्रान्‍तीय सरकारों में अन्‍य जाति में विवाह करने पर आर्थिक मदद की जावेगी जैसे आदेश निकाले हैं तो महासभा अपनी और उन्‍हे विरोध पत्र भेजेगी । 
आगे संस्कारो की बात कही की, ब्राहमणत्व के संस्कारों को जीवित रखने की जिम्‍मेदारी जितनी माता बहनों की है उतनी ही पुरूषों की भी है। हर सदस्‍य को धोती अवश्‍य पहनना चाहिए। महासभा का सदस्‍य बनना हमारे संस्‍कारो से जुडा हुआ है। यदिपरिवार जड से जुडा रहेगा तो पुष्पित पल्‍लवित रहेगा । हमें सर्वश्रेष्‍ठ बन कर दिखाना होगा । हर क्षेत्र में प्रतिभाओं को अपना परचम फहराना होगा। माता बहने मेत्रेयी और गार्गी के समान तेजी से आगे बढे । दयानन्द सरस्वती ओर कवि प्रदीपजी के बारे में बता कर औदीच्‍य समाज की  गौरव गाथा की जानकारी दी, ओर कहा की औदीच्‍य समाज में जो विशेष गुण्  है, उन्‍हे आलोकित करना होगा । 
    सभी मंचासीन अतिथियों को स्‍मृति चिन्‍ह प्रदान किये गये। अ;भा; औदीच्‍य महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेने के लिए इन्‍दौर से श्री उल्‍हास ठक्‍कर एवं श्री प्रकाश जोशी, देवास से जगदीश शर्मा उज्‍जैन से श्री प्रेमशंकर पण्‍डया, ओमप्रकाश पण्‍डया, शरद त्रिवेदी, सुभाष पण्‍डया, मथुराप्रसाद शर्मा, नन्‍दकिशोर पाण्ड्या, जानकीलाल महिदपुर से भगवतीप्रसाद जोशी, शकरखेडी से श्री बापूलाल जी जोशी, साथ ही राजस्‍थान प्रान्‍त के विभिन्‍न जिलों से औदीच्‍य समाज के प्रतिनिधि एवं सदस्‍य गण उपस्थित हुवे । 

बैठक का संचालन श्री व्रजवल्‍लभ जी शर्मा ने बडी रोचक शैली में करते हुए सदन को बांधे रखा। आभार श्री दामोदर जी शाण्डिल्‍य ने मानते हुवे बैठक समाप्ति की घोषणा की। 
मंच पर पीछे अंकित श्लोक  ''औदीच्‍या: ऋषया सर्वे श्रोत्रिया: शास्‍त्र पारगा। इति लब्‍धा प्रतिष्‍ठा येवयं तेषा कुलोद भव्॥ ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। 
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