संगीत प्रतिभा कुशल अभिनेत्री ओर नर्तकी सुश्री कणिका पाण्‍डे- औदीच्य समाज गौरव शाली महिलायें।

संगीत प्रवीण ज्ञाति गरिमा सुश्री  कणिका पाण्‍डे
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 संगीत प्रतिभा कुशल अभिनेत्री ओर नर्तकी सुश्री कणिका पाण्‍डे का जन्‍म 12 दिसम्‍बर 1971 को कोटा में सहस्त्रोदीच्य  शिवशंकर जी पाण्‍डे के यहां हुआ। पाण्‍डे जी स्‍वयं शास्‍त्रीय संगीत के गायक एवं प्रसिध्‍द बांसुरी वादक रहे हैं। संस्कारित संगीतमय वातावरण वाले समर्पित परिवार में परिवार में जन्मी  कणिका संगीत की शिक्षा उसके पिता द्वारा कम आयु में ही प्रारम्भ हो गई थी। बचपन से ही घर में होने वाली अनौपचारिक घर संगीत समारोहों में कई दिग्गज कलाकारों को सुनने ओर जानने का अवसर अनायास ही मिलता रहा था। दस वर्ष से कम उम्र में ही आपने संगीत में एक सख्त अनुशासन को स्वीकार कर लिया था। इस प्रकार से कणिका का लालन पालन एक संगीतमय वातावरण में ही हुआ। कणिका के पिता का स्‍थानान्‍तरण सन 1979 में जयपुर के राजस्‍थान संगीत संस्‍थान के संगीत विभागाध्‍यक्ष उपाचार्य पद पर हो जाने के कारण समस्‍त परिवार को जयपुर स्‍थानान्‍तरित हो जाना पडा। कणिक के भविष्‍य के लिए शायद यह अनुकूल ही था। पिता से संगीत में एक ठोस नींव प्राप्त करने के बाद  1995 से वाराणसी  घराने के राजन और साजन मिश्रा, जी से  सूक्ष्म बारीकियों और कला के शैलीगत तकनीक ज्ञान की शिक्षा प्राप्त की। 
यों तो कणिक हायर सेकण्‍डरी स्‍तर तक विज्ञान की छात्र रही, किन्‍तु संगीत एवं नृत्‍य में कणिका की असाधारण् प्रतिभा को परिलक्षित कर इनके पिता ने राजस्‍थान विश्‍वविधायलय में ''बेचलर आफ फाईन आर्टस'' पाठयक्रम में प्रवेश दिला दिया। आठ वर्ष की आयु से ही संगीत एवं नृत्‍य सीखती रहीं, तथा दिनोदिन उन्‍नति की पथ पर अग्रसर होती रही। मास्‍टर आफ आर्टस में सर्वप्रथम आने पर विश्‍व विध्‍यालय ने स्‍वर्ण पदक से सम्‍मानित किया। साथ ही साथ कणिका ने राजस्‍थान संगीत संस्‍थान जयपुर से कंठ संगीत एवं कत्‍थक नृत्‍य में संगीत निपुण की उपाधि प्राप्‍त की । तत्पश्‍चात अखिल भारतीय गांन्धर्व महाविध्‍यालय मंडल बम्‍बई की सर्वोच्‍च परीक्षा 'संगीत झंकार' प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण की। देश के कई प्रसिध्‍द संगीत कलाकारों से कणिका के पिता के संबंधों का कणिका को भरपूर लाभ मिला। नं; नारायणराव पटवर्धन, पं; संगमेश्‍वर गुरव, पं; विध्‍याधर व्‍यास जैसे गुणी लोगों का कणिका को मार्गदर्शन मे आपकी प्रतिभा का विकास हुआ। बाद में उच्‍च गायकी की शिक्षा के लिए कणिका ने वाराणसी के प्रसिध्‍द संगीतज्ञ पं; राजन साजन मिश्र से संगीत की प्रायोगिक शिक्षा प्राप्त की।
  कणिका को वर्ष 1990 में महाराणा मेवाड फाउण्‍डेशन की ओर से 'भामाशाह' सम्‍मान से सम्‍मानित किया गया ।  मानव संसाधन नई दिल्‍ली की ओर से कणिका को संगीत एवं नृत्‍य में छात्रव्रतियां प्रदान की गई। राजस्‍थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से भी दोनों क्षेत्रों में छात्रवृतियां प्रदान की गई।

संगीत एवं नृत्‍य के अलावा कणिका ने अभिनय के क्षेत्र में भी अनूपम उप‍लब्घि हासिल की है। विश्‍व के प्रसिध्‍द फिल्‍म निर्देशक बर्नार्डो बर्टोलुची की प्रसिध्‍द फिल्‍म '' लिटिला बुध्‍दा''[क्लिक कर देखें] में महारानी महामाया की भूमिका के लिये बर्नार्डो ने कणिका को चुना और कणिका ने इस भूमिका को बहुत खुबसूरती से निभाया। फिल्‍म में कार्य करने के दौरान कणिका ने इंग्‍लैड , नेपाल आदि देशों की यात्रा की।

  अभिनय के अलावा कणिका ने इस फिल्‍म में उस्‍ताद जाकिर हुसैन और प्रसिध्‍द जापानी संगीतम निर्देशक बुरूचि सान्‍कामातो के निर्देशन में अपना स्‍वर देकर अपनी संगीत प्रतिभा का परिचय भी दिया ।
जयपुर के अलावा दिल्‍ली, मुब्‍बई, लुधियाना, इलाहाबाद, रायपुर, पटियाला, मेरठ, मथुरा, कोलकता, एवं कटक इत्‍यादि शहरों में कणिका ने अपने संगीत और नृत्‍य के कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं।
औदीच्‍य समाज की अव्दितीय प्रतिभा कणिक पाण्‍डे ने अपने कुल और समाज को गौरवान्वित किया है। वस्‍तुत कणिक ज्ञाति गरिमा है।
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