डॉ;चन्‍द्र प्रकाश व्दिवेदी (चाणक्‍य)- औदीच्य समाज की विभूतियाँ ।

     लोकप्रिय धारावाहिक 'चाणक्‍य ' के लेखक निर्देशक तथा अभिनेता औदीच्‍य रत्‍न डॉ; चन्‍द्रप्रकाश व्दिवेदी चिकित्‍सा विज्ञान में एम बी बी एस हैं। परन्‍तु त्‍याग, तप, तितिक्षा, द्दृढ संकल्‍प, सदवृत्ति और देश सेवा के पेतृक संस्‍कारों के साथ गहन सांस्‍कृतिक अध्‍ययन के फलस्‍वरूप चिकित्‍सा क्षेत्र में सेवा करने के स्‍थान पर उन्‍होने अपनी समस्‍त शक्ति आदर्श एवं निस्‍वार्थ राष्ट्र-सेवक चाणक्‍य पर दूरदर्शन धारावाहिक के निर्माण में लगा दी । एतदर्थ उन्‍होने अनेक ग्रन्‍थों का अध्‍यावसाय पूर्वक स्‍वाध्‍याय किया। 
    डॉ; चन्‍द्रप्रकाश को चाण्‍क्‍य पर धारावाहिक निर्माण करने की प्रेरणा प्रसाद जी के चन्‍द्रगुप्‍त नाटक से प्राप्‍त हुई ।
डा; चन्‍द्रप्रकाश के 5 भाई हैं। चाणक्‍य धारावाहिक में जिन प्रकाश व्दिवेदी का नाम आता है, वे उनके ही पाँच भाइयों में से एक हैं। ये धारावाहिक के निर्माता है ।
   आपके पूज्‍य पिता श्री मंछाराम जी ने काशी में 12 वर्ष तक अध्‍ययन कर आचार्य की उपाधि प्राप्‍त की थी। काशी से लोटकर आप सिध्‍दपुर में '' गोपाल सनातन ब्रहमचर्याश्रम'' में अध्‍यापक नियुक्‍त हुए।

    थोडे समय बाद आप बम्‍बई आ गये और वहां गोकुलदास संस्कृत पाठशाला में स्‍थायी रूप से अध्‍यापन करते रहे । गुजरात से राजस्‍थान में आने वाले औदीच्‍य बन्‍धुओं का एक थोक सिरोही एवं उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में बस गया। इनमें स्‍वनाम धन्‍य रायबहादुर गौरीशंकर हीराचन्‍द ओझा,गोकुलभाई भटट एवं भीमशंकर जी व्दिवेदी के नाम एवं जीवन कार्य से हम परिचित हैं । सिरोही से 10 किलोमीटर दूर डोडुआ नामक जागीरदारी ग्राम में आपके पूज्‍य पितामह श्री कृपाराम जी का निवास था। पूर्वज गुजरात सिध्‍दपुर से आने पर प्रथम चन्‍द्रावती में ठहरे और बाद में गोल नामक ग्राम में सिरोही और आसपास लगभग साढे तीन हजार परिवारों का निवास है।
डॉ; चन्‍द्रप्रकाश ने वस्‍तुत बडा साहसिक कदम उठाकर ''चाणक्‍य '' का निर्माण किया है। प्रवाह के विपरीत फिल्मी परंपरा से हटकर सच्‍चाई को सामने लाना अपने आप में महत्‍व का कार्य है। 
''चाणक्‍य '' धारावाहिक में तीन औदीच्‍य बन्‍धु डॉ; चन्‍द्रप्रकाश व्दिवेदी के प्रेरणास्‍त्रोत रहे है।
     पहले उनके पिता श्री आचार्य पण्डित मंछाराम जी।
     दूसरे श्री प्रकाश व्दिवेदी चन्‍द्रप्रकाश जी के पांच सहोदरों में एक है।
    तीसरे उल्‍लेखनीय व्‍यक्ति हैं अलीगढ के डॉ; विश्‍वनाथ शुक्‍ल जिनका राष्ट्र भावनोबोधक गीत ''हम करें राष्ट्र आराधन'' इस धारावाहिक में अपना अर्थ वैशिष्‍टय मधुर स्‍वरों में प्रस्‍थापित करने में सफल रहा है। डॉ; शुक्‍ल हिन्‍दी साहित्‍य के विव्‍दान होने के साथ साथ सक्षम साहित्‍यकार और कुशल कवि हैं। इस गीत को उन्‍होने दिल्‍ली के एक विशाल संघ समारोह में स्‍वयं सस्‍वर गाया भी था । 
औदीच्‍य समाज को आपने गौरवान्वित किया है।
आप परम देशभक्‍त एवं औदीच्‍य-रत्‍न हैं ।
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