अ.भा.औदीच्‍य महासभा के अधिवेशन ।



अखिल भारतीय औदीच्य महासभा जो आज हमारे सामने एक विशाल वृक्ष की तरह पुष्पित पल्लवित हे 

इसका शुभारंभ आषाढ क्रष्‍ण 10 संवत 1960 सन 1903 में मथुरा में हुआ था।

 इसके 20 वर्ष पूर्व गुजरात में रा.रा. मेहता प्राण गोविन्‍द राजाराम जी  ठाकर जैसे महानुभावों के प्रयास से अखिल भारतीय औदीच्‍य ब्रहम समाज की स्‍थापना हुई थी ।
जन्म से अब तक अधिवेशनों / एवं कार्यकारिणी आदि बेठकों में समाज हित के लिए मंथन होता रहा हे। 
  1.   प्रथम अधिवेशन 1904 -  संवत 1960  के फाल्‍गुन शुक्‍ल 3,4,5, ता; 19,20,21 अप्रेल सन 1904 में अ;भा; औदीच्‍य महासभा का प्रथम अधिवेशन औदीच्‍य ब्रहम समाज के छठे अधिवेशन के साथ मथुरा में सम्‍पन्‍न हुआ।  जिसमें विभिन्‍न स्‍थानों से 110 प्रतिनिधि उपस्थित हुए थे।
  2.  व्दितीय अधिवेशन 1925 - मई 1925 में ग्‍वालियर में महासभा का अधिवेशन बुलाया गया था । इस अधिवेशन में मातृभाषा, संस्‍कारों के रक्षण के साथ ही बाल विवाह निषेघ, विधवाश्रम,विध्‍यालय खोलने जैसे विषयों पर प्रस्‍ताव स्‍वीक्रत हुऐ ।
  3.  तृतीय अधिवेशन 1927- आषाढ शुक्‍ल संवत 1984 जून सन 1927 में रायबहादुर चंपालाल जी त्रिपाठी के सभापतित्‍व में महासभा का अधिवेशन काशी बनारस में सम्‍पन्‍न हुआ । इसमें भी छोटी बडी समवाय के संबंध में चर्चा होकर आचार शुध्दि पर विशेष जोर दिया गया।
  4.  चतुर्थ अधिवेशन 1928  - वेशाख माह संवत 1985 सन 1928 में रं. रघुनाथ जी महोदय के सभापतित्‍व में माधोपुर में सम्‍पन्‍न हुआ । मालवा तथा 84 परगने से पहली बार प्रतिनिधि इस अधिवेशन में उपस्थित हुए थे। इसमें औदीच्‍य ब्राहमणों का अधिक्रत इतिहास बनाने तथा जयपुर में औदीच्‍य छात्रावास बनाने तथा बागड एवं मालवा प्रान्‍त में प्रचार करने संबंधी प्रस्‍तावों पर बल दिया गया।
  5.  पंचम अधिवेशन 1930- सन 1930 में मथुरा में ही यह अधिवेशन सम्‍पन्‍न हुआ। इस अधिवेशन में मालवा तथा 84 परगना  से बहुत बडी संख्‍या में प्रतिनिधि आये थे। इसमें महासभा के सदस्‍यों की वृध्दि, मितव्ययता [खर्च कम करने] एवं कुरीतियां हटाने  आदि विषयों पर प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुए। मार्च 1930 में महासभा के प्रस्‍तावों एवं उददेश्‍यों  के प्रचार प्रसार के लिये एक समिति  का गठन कोटा की महासभा की व्‍यवस्‍थापिका की बैठक में किया गया।  सन 1925 से 1933 तक पंडित लक्ष्‍मीधर जी त्रिपाठी ने महासभा के प्रधानमंत्री के रूप में बडी कुशलता से कार्य संपादित किया।
  6. षष्‍ठम अधिवेशन1935-  दिनांक 19,20,21,22 अप्रेल सन 1935 में पवित्र तीर्थ नगरी पुष्‍कर में महासभा का छठा अधिवेशन सम्‍पन्‍न हुआ। मनोनित सभापति श्री कन्‍हैयालाल जी उपाध्‍याय वकील थे। इस आयोजन में श्री शंकराचार्य जी महाराज श्री त्रिविक्रमतीर्थ जी विशेष रूप से पधारे थे। इस अधिवेशन में विभिन्‍न विषयों एवं सामयिक समस्‍याओं  पर 8 से अधिक प्रस्‍ताव सर्वसम्‍मति से स्‍वीकृत किये गये । इस अधिवेशन में महासभा की कार्यवाही को हिन्दी में ही प्रकाशित करने एवं औदीच्‍य बन्‍धु  की आर्थिक स्थिति सुद्रढ करने , संध्‍योपासना, यथाशक्ति परोपकार, समाज सेवा, कन्‍या एवं पुत्रों को सुशिक्षित करना , 18 वर्ष की आयु के पूर्व पुत्र का विवाह नहीं करना, म्रत्‍युभोज शास्‍त्रानुसार एवं यथाशक्ति हो , श्री राधेश्‍याम जी व्दिवेदी व्‍दारा रखेंगये ये प्रस्‍ताव सर्वसम्‍मति से स्‍वीकृत हुवे ।
  7.  सप्‍तम अधिवेशन 1936- 1 जून 1936 को औदीच्‍य महासभा का सप्‍तम अधिवेशन काशी में सम्‍पन्‍न हुआ। मनोनीत सभापति श्री गोरीशंकर जी शास्‍त्री थे। औदीच्‍य भवन की स्‍थापना तथा भगवान गोविन्‍द माधव का मंदिर बनाने हेतु प्रबंधकारिणी समिति का गठन किया गया । महासभा एवं औदीच्‍य बन्‍धु के सदस्‍य बढाने हेतु मंडल का गठन किया गया ।
  8.  अष्‍टम अधिवेशन / 8 वा अधिवेशन पं.गोविन्‍दवल्‍लभ जी शास्‍त्री की अध्‍यक्षता में मथुरा में सम्‍पन्‍न हुआ।
  9.  नवम अधिवेशन 1941- 24,25,26 मई  सन 1941  को भूसावल में पू. श्रीलालजी  पण्‍डया के सभापतित्‍व में सम्‍पन्‍न हुआ। इस अवसर पर अ.भा.युवक सम्‍मेलन  का भी आयोजन किया गया था। अधिवेशन में अर्न्‍त-प्रांतीय भेदभाव समाप्‍त करने , महासभा को अधिक कार्यक्षम, व्‍यापक, गतिशील बनाने  तथा सभी नगरों में महासभा की शाखायें स्‍थापित करने संबंधी प्रस्‍ताव पारित किए गयें । ब्रहम समाज अपनी सीमित मर्यादा और भाषा भेद के कारण अपना कार्यक्षेत्र नहीं बढा सका ।
  10. दशम अधिवेशन 1948 - महासभा का दसवा  अधिवेशन डा.नारायण दुलीचंद व्‍यास की अध्‍यक्षता में जयपुर में सम्‍पन्‍न हुआ।  इसमें '' सहस्‍त्रोदीच्‍य महासभा '' को सन 1948 में ''अखिल भारतीय औदीच्‍य महासभा का स्‍वरूप प्रदान किया गया क्‍योंकि महासभा के तब तक के आठ दस अधिवेशनों में उपरोक्‍त सभी प्रान्‍तों के बंधु भाग लेने आये थे।
  11.  एकादश अधिवेशन 1951- सन 1951 में बडनगर के एकादश अधिवेशन का आयोजन  पं. राधेश्‍याम जी व्दिवेदी की अध्‍यक्षता में सम्‍पन्‍न  कराया गया।इस अधिवेशन में सभी प्रांतों के जाति बन्‍धु लगभग 1500 से अधिक  संख्‍या में उपस्थित हुए और यहीं से इसे अखिल भारतीय स्‍वरूप प्राप्‍त हुआ।इसमें ब्रहम समाज के प्रतिनिधि भी उपस्थित हुए थे। इसमें गायत्री पुरश्‍चरण महायज्ञ एवं 40 औदीच्‍य बच्‍चों का सामूहिक यज्ञोपवित भी महासभा की ओर से कराया गया था। इस अवसर पर औदीच्‍य छात्रावास का मुहुर्त भी जाति के ही एक भवन में कराया गया था। बडनगर का अधिवेशन सभी प्रकार से सफल रहा था। सक्षम समिति का संगठन करके कानपुर निवासी श्री तुलजाशंकर जी दवे को प्रधानमंत्री बनाया गया ।
  12.  व्‍दादश अधिवेशन 1955-  सन 1955 में महासभा का बारहवा अधिवेशन देवास में सम्‍पन्‍न हुआ। देवास सम्‍मेलन की विशेषता यह थी कि उसका उदघाटन राजकोट सौराष्ट्र निवासी तथा इन्‍दौर में बसे हुए प्रसिध्‍द कन्‍ट्राक्टर  स्‍व; श्री त्रिभुवनदास जी व्‍दारा कराया गया । इस सम्‍मेलन में गायत्री यज्ञ एवं 12 औदीच्‍य बालकों का यज्ञोपवित संस्‍कार  तथा महिला सम्‍मेलन  आदि भी सम्‍पन्‍न हुए।
  13. तृयोदश अधिवेशन 1957  - महासभा का तेरहवां अधिवेशन इन्‍दौर में ज्‍येष्‍ठ क्रष्‍ण 2,3,4, सवंत 2014 को इन्‍दौर के प्रसिध्‍द गुजराती समाज के भवन में सफलता पूर्वक सम्‍पन्‍न हुआ। इस सम्‍मेलन के अन्‍तर्गत युवक सम्‍मेलन,महिलासम्‍मेलन,प्रदर्शनी,मनोरंजक संवाद ,निबन्‍ध योजनाएं आदि कराये गये। इस अधिवेशन के सभापति थे श्री तुलजाशंकर जी दवे। इस अधिवेशन में गुजरात, सौराष्‍ट, मालवा, नीमाड राजस्‍थार उत्‍तरप्रदेश, पंजाब मध्‍यप्रदेश, बिहार  बंगाल आदि प्रांतों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।  इसमें 29 बटूकों का यज्ञोपवित संस्‍कार भी हुआ । तीन दिन तक चले इस अधिवेशन को काफी सराहा गया।  इस भव्‍य सम्‍मेलन में प्रसिध्‍द ज्ञाति प्रेमी वयोव्रध्‍द  श्री पं. मुकुन्‍दरामजी त्रिवेदी जी ने इन्‍दौर नगर में औदीच्‍य विध्‍यार्थी भवन स्‍थापित करने के लिए  21000/ रू; दान  किये । साथ ही पूर्व निश्चित संकल्‍प के अनुसार प्राप्‍त होने वाली भूमि मूल्‍य भी देने की घोषणा की । उसी समय लगभग रू; 11 हजार की सहायता के वचन भी मिले। महासभा के इतिहास में यह सफलतम अधिवेशन था। मालवा प्रान्‍त में हुए सम्‍मेलनों की सफलता के कारण अन्‍तर्प्रान्‍तीय विवाहों का श्री गणेश होकर इन्‍दौर में  20 हजार वर्गफीट की जमीन का प्‍लाट रूपये 17 हजार में लिया उसमें 12 कोठरियां बनी होने से आवश्‍यक दुरूस्‍त करवा कर जुलाई 1958 से छात्रावास प्रारम्‍भ कर दिया ।
  14.  चतुर्दशाधिवेशन 1963 - महासभा का 14 वां अधिवेशन  दिनांक 8,9 जून 1963 को श्री मुकुन्‍दरामजी  त्रिवेदी के सभापतित्‍व में बडनगर में सम्‍पन्‍न हुआ। इसमें 18 बच्‍चों का यज्ञोपवित संस्‍कार होकर विभिन्‍न सामाजिक समस्‍याओं  एवं कुरीतियों के उन्‍मूलन के साथ महासभा के विस्‍तार आदि पर प्रस्‍ताव पारित किए गये । इसमें बडी संख्‍या में प्रतिनिधि गण उपस्थित हुऐ ।
  15. पंचदशाधिवेशन 1967-  अ.भा.औदीच्‍य महासभा का 15 वा अधिवेशन  दिनांक 9,10,11 जून 1967 को औदीच्‍य धर्मशाला उज्‍जैन में सम्‍पन्‍न हुआ। इसमें 33 बटूकों का यज्ञोपवित संस्‍कार गायत्री हवन महिला सम्‍मेलन आदि सम्‍पन्‍न हुए। इस अधिवेशन में मुकुन्‍दराम छात्रावास इन्‍दौर का न्‍यास बनाया गया ।
  16. सोलहवां अधिवेशन 1970- महासभा का 16 वा अधिवेशन  दिनांक 13,14,15 जून 1970 को रतलाम में सम्‍पन्‍न हुआ। इसमें श्री देवीशंकर जी तिवाडी अध्‍यक्ष चुने गये। इसमें जो प्रस्‍ताव पास हुवे-                 1; औदीच्‍य बन्‍धु के लिये स्‍थायी कोष की स्‍थापना की जाय ।  2; सविधान की धारा 10 के अनुसार प्रत्‍येक नगर एवं प्रान्‍त में महासभा की शाखायें खोली जावे । 3; प्रतिवर्ष हर राज्‍य में सामूहिक यज्ञोपवित के कार्यक्रम हो । 4; प्रत्‍येक राज्‍य में ज्ञाति की गणना और सर्वेक्षण कार्य हो ।
  17.  सप्‍तदश अधिवेशन 1972  महासभा का 17 वा अधिवेशन  दिनांक 21,22 अक्‍टूम्‍बर 1972 को कोटा के बडे देवता श्री श्रीधरलाल जी शुक्‍ल  की अध्‍यक्षता में जयपुर में सम्‍पन्‍न हुआ। इसमें विधान में आवश्‍यक संशोधन एवं समस्‍त औदीच्‍य जाति की एकता तथा आर्थिक उन्‍नति  हेतु व्‍यावहारिक आधारो पर जोर दिया गया। इसमें हरियाणा,पंजाब,अहमदाबाद,कलकत्‍ता सौराष्‍ट आदि प्रान्‍तों के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।
  18. अठारहवा अधिवेशन 1982  अ;भा;औदीच्‍य महासभा का 18वा अधिवेशन दिनांक 27,28,29 मई 1982  को उदयपुर में  गायत्री यज्ञ एवचं सामूहिक यज्ञोपवित के कार्यक्रम के साथ भव्‍य एवं अभूतपूर्व  रूप से सम्‍पन्‍न हुआ। श्री विष्‍णुदत्‍त जी व्‍यास सम्‍मेलन के अध्‍यक्ष थे।  इसमें महिला एवं युवा सम्‍मेलन भी सम्‍पन्‍न हुए। तथा 11 प्रस्‍ताव पारित किए गए।
  19.  उन्‍नीसवां अधिवेशन 2005 -।  अ;भा;औदीच्‍य महासभा का 19 वा अधिवेश  महासभा के गौरवशाली        100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी समारोह के रूप में श्री रामचन्‍द्र जी पाण्‍डे की अध्‍यक्षता में  4,5 जून 2005 को उज्‍जैन में सम्‍पन्‍न हुआ । इसमें महिला युवा सम्‍मेलन के साथ ही कई महत्‍वपूर्ण प्रस्‍ताव पारित किए गए।

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अखिल भारतीय औदीच्‍य महासभा के अध्‍यक्ष।
[पूर्व अन्य महासभा अध्यक्षों की जानकारी अपडेट शीघ्र ही]
वर्ष 1986 में औदीच्‍य महासभा  की कार्यकारिणी समिति बेठक में श्री लज्‍जाशंकर जी आचार्य
वर्ष 1990  में न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्रदत्‍त  ज्ञानी। 
वर्ष 1994 में  सांसद डा;लक्ष्‍मीनारायण  जी पांडे 
वर्ष 2003- 7 सितम्‍बरको श्री रामचन्‍द्र पाण्डे  
वर्ष 2010- रघुनन्दन जी शर्मा  - वर्तमान अध्यक्ष
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