समाज चिंतक- श्री विश्वनाथ यजुर्वेदी पूर्व अध्यक्ष म.प्र आद्योगिक न्यायालय एवं चेयरमेन म.प्र. आद्योगिक न्यायाधिकरण इंदौर।

श्री विश्वनाथ यजुर्वेदी, पूर्व अध्यक्ष म.प्र आद्योगिक न्यायालय 
एवं चेयरमेन म.प्र. आद्योगिक न्यायाधिकरण इंदौर. पूर्व म.प्र.
स्टेट बार कोंसिल का सदस्य/  पूर्व प्रिजनर्स रिलीज ऑन प्रोवेशन
 ट्रिबुनल का सदस्य| (आदि अनेक पद पर कार्यरत रहे।)
लेखन कार्य (२००९ के बाद )
 "भारतीय वांगमय में सामाजिक न्याय की अवधारणा के परिपेक्ष में "
"भारतीय संबिधान" जुलाई २००९ में - "अखंड भारत एक विवेचना" 
, सितम्बर २००९में, "इतिहास के झरोखों से", पूर्वांचल (नेफा)के 
परिपेक्ष में "चीन कल आज और कल" नव.२००९ में "शासकीय 
व्यवस्था से निर्वाचन के प्रत्याशियों के प्रचार व्यय" भोपाल से
 प्रकाशित "स्वयंसेवक" मासिक  पत्रिका में प्रकाशित हुए हें। 
 एक और आलेख "भारतीय करण के सन्दर्भ में" लेखबद्ध
 हुआ हे।"नई दुनिया" समाचार  पत्र में लेख  
"डगमगा रहा हे, न्याय के प्रति आस्था का भाव"
"अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन में भारत की भूमिका" आदि आदि ।-- 
विश्वनाथ यजुर्वेदी 
जीवन धारा-संक्षेपिका 
पूर्व अध्यक्ष म.प्र आद्योगिक न्यायालय
एवं चेयरमेन म.प्र. आद्योगिक न्यायाधिकरण इंदौर.पूर्व म. प्र. स्टेट बार कोंसिल का सदस्य/  पूर्व प्रिजनर्स रिलीज ऑन प्रोवेशन ट्रिबुनल का सदस्य| (आदि अनेक पद पर कार्यरत रहे।)
संपर्क सूत्र-09425105577 / घाटी मोहोल्ला मनासा जिला नीमच मप्र

जीवन की कठिन परस्थितियों में संघर्ष करता ईमानदार व्यक्तित्व किस प्रकार से उचाईयों को छु लेता है, यह बात हमको उनके व्यक्तित्व से सीखने मिलती है। 
निम्न जीवन की सक्षेपिका हमारे आग्रह पर उन्होने स्वयं लिखी है। इसे पड़कर उनके व्यक्तित्व से स्वयमेव ही परिचय हो जाता है। 'इसे प्रकाशित नहीं करना' एसा कहकर उन्होने हमको दिया था। पर यदि प्रकाशित नहीं किया जाता तो प्रेरणा देने वाले इस परिचय से समाज लाभान्वित नहीं हो सकता था। इसी कारण क्षमा याचना सहित प्रकाशित किया जा रहा है। 

इसमें पारिवारिक व्यवस्था का उल्लेख नंही है
1. वर्ष 1933 में जन्म हुआ।
2. प्रारंभिक शिक्षण मनासा, रामपुरा, में हुआ।
3. वर्ष 1948 में रामपुरा में संघ सत्यागह में भाग लेकर जैल गया।
4. माध्यमिक शिक्षण वर्ष 195051, 5152 में मंदसौर, में प्राप्त किया। मंदसौर से नीमच सायकल से संघ के कार्यक्रम में जाकर उसी दिन आता रहा।
5. वर्ष 1952,डाक विभाग की सेवा में इंदौर में पदस्थ हुआ। और 1960 में पद मुक्ती लेने के एक वर्ष पूर्व तक इदौर में रहा।
6. वर्श 1953, में विवाह हुआ।
7. वर्ष 1954 में इण्टर आर्टस की परीक्षा उत्तीर्ण की।
8. वर्ष 1955, में इंदौर डिवीजन की डाक कर्मचारी यूनियन, की स्थापना कर प्रथम कार्यकारिणी का पदाधिकारी बना।
9. वर्ष 1956, डाक विभाग की सेवा करते और आगे के शिक्षण प्राप्त करने की अनुमति प्राप्त की, नियमित विद्यार्थी के रूप में बी.ए. का पाठ्य क्रम पूर्ण किया। पश्चात एल.एल.बी. पाठ्यक्रम नियमित विद्यार्थीर नाते शिक्षण पूर्ण किया। गोवा मुक्ती आंदौलन से लाटकर आये पं. गजा महाराज का मेंने यूनियन पदाधिकारी नाते इंदौर सिटी डाकघर में भव्य आयोजन कर स्वागत समारोह किया।
10. वर्ष 1957, में इंदौर मण्डल डाकतार सहकारी संस्था के जन्म दाता का दायित्व स्वीकार कर संस्था प्रारम्भ की। यह संस्था वत्र्तमान में अपने विशाल भवन से करौडौं रूपयौं का लेनदेन कर रही है।
11. वर्ष 1960, में एल.एल.बी. की परिक्षा द्वि.श्रे. में उत्तीर्ण की।
12. वर्ष 1960 मे एल.एल.बी. की परीक्षा की तैयारी के लिये , लिये गये अवकाश का आधार, मेडिकल सर्टिर्फिकेट था, जिसको सुप्रिन्टेन्डेन्ट डाक विभाग ने अस्वीकार कर चुनौती देकर मुझे अधीक्षक एम.वाय. हास्पिटल के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया। निर्देश का पालन किया एवं अधीक्षक एम.वाय. हास्पिीटल की सहानुभूति प्राप्त कर, अवकाश लाभ लेने में सफल रहा।
13. सुप्रिन्टेन्डेन्ट डाक विभाग ने कि्रश्चियन कॉलेज के प्रिंसिपल को डाक तार विभाग का कर्मचारी होने के आधार पर मुझे परिक्षा में बैठने से बंचित करने का पत्र प्रेषित किया, तो प्रिन्सिपल ने मुझसे जानकारी प्राप्त करके, अनुमति दी। 
14. वर्ष 1960, में केन्द्रीय कर्मचारियौं की हडताल में इन्दौर स्थित डाक तार विभाग के कर्मचारियौं की हडताल आयोजित करने एवं सफल रखने के लिये, मेंने आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी के नाते से सफल प्रयास एवं प्रवास करके एवं भूमिगत होकर किये ।
15. इस हडताल की वापिसी पर मुझे राजपुर बडवानी स्थानांतरित किया , अतः 1 अक्टोबर 1960 से प्रभावी होने का सेवा से त्याग पत्र 1 सितंबर 1960 को देकर एक माह के लिये राजपुर गया।
16. अक्टौबर 1960 में सेवा मुक्त होकर मनासा आ गया, सनद की कार्यावाही सम्पन्न की जा चुकी थी, अतः 1718 नवम्बर को सनद प्राप्त हुई।
17. 19 नवम्बर 1960 को मेंने अभिभाषक नाते कार्य प्रारंभ किया।
18. 1962 के निर्वाचन में सुन्दर लाल जी पटवा, मनासा विधान सभा क्षेत्र के प्रत्याशी के समर्थन में रामपुरा सहित 26 मतदान केन्द्रौ पर व्यवस्था देखीं
19. 1963 में संघ का मनासा तैहसील कार्यवाह घौषित हुआ।
20. 1964 में संघ का सह जिला कार्यवाह घोषित हुआ।
21. 1964 में संघ शिक्षा वर्ग प्रथमवर्ष हुआ।
22. 1967 के निर्वाचन के पूर्व सम्पूर्ण मन्दसौर लोकसभा क्षेत्र का आठौं विधानसभा क्षेत्रौं के चुनाव संचालक का दायित्व मुझे जनसंघ़ के अघ्यक्ष के द्वारा चाहने पर, संघ द्वारा सौंपा गया।
23. इस निर्वाचन के लिये मंदसौर लोक सभा क्षेत्र के प्रत्याशी की दावेदारी के लिये बैरीष्टर उमा शंकर जी त्रिवेदी का विवाद था।
24. इस निर्वाचन तिथी की घौषणा के बाद पं. दीनदयाल जी उपाध्याय अध्यक्ष अ.भा.जनसंघ के साथ जावद, सरवानिया, डिकेत,रतनग,सिंगोली एव्र नीमच में प्रवास कार्यक्रम सम्पन्न कराने में, उनके साथ रहा।
25. वर्ष 197273, में मनासा शिक्षण समिति’ का सौसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंर्न्तगत पंजीयन कराया एवं इस सौसायटी के द्वारा मनासा में प्राइवेट महाविद्यालय प्रारंभ किया। में सौसायटी का उपाध्यक्ष एवं महा विद्यालय की गब्हनिंरंग वाडी (शासी निकाय) का चेयरमेन, [महाविद्यालय को शासन को वर्ष 1994 में सौंपने तक] 
26. वर्ष 197374 में विक्रम विश्वविद्यालय की सीनेट के निर्वाचन में, मैं ग्रेजुएट कान्स्टीट्यून्सी से प्रत्याशी बना, एवं प्रथम वरीयता के सर्वाधिक मत प्राप्त कर प्रथम निर्वाचित होने का कीर्तिमान स्थापित किया।
27. 26 जून1975 को देश में आपात काल की घौषणा हुई। संघ के अधिकारी के निर्देशानुसार मैं भूमिगत हुआ, एवं आंदौलन की यौजना प्रभाव शाली होने पर विशेषतः मंदसौर जिला में आंदौलन का संचालन किया। मंदसौर एवं नीमच में दो जत्थैां मे स्वंय सेवकौ ने प्रर्दशन कर गिरफ्तारियां दीं । मन्दसौर जिले में 98, मीसा बन्दी हुए।
28. दिसंबर 1975, में विनोवा भावे, मौन खौलेंगें इस हेतु एक कार्यक्रम पवनार आश्रम में आयौजित था, उसमें में ’’स्वदेश समाचार पत्र का विषेश प्रतिनिधि संवॉददाता बनकर पवनार गया, उद्धेश्य था विनौवा को आपातकाल की ज्यादतियौं से अवगत कराना, एवं वे आपातकाल हटाने के लिये बोलें।
29. 24 फरवरी 76 को पुत्री सौ.कां.कल्पना का विवाह मेरे भूमिगत रहते सकुशल संप्पन्न हुआ। मेंने लग्न मण्डप में प्रवेश किया, कन्यादान किया, एवं वहॉ से प्रस्थान कर गया। इस विवाह कार्यक्रम में स्थानीय कार्यकर्ताऔं का सहयोग अविस्मरणीय हे।
30. भैरूगड जैल में निरूद्ध कार्यकर्ताऔं से भैंट का अवसर, ’जगदीश भाई खण्डेलवाल को कलेक्टर के आदेश से, मिलने जा रही उनकी पत्नी के साथ, मेरे द्वारा उनका पुत्र एवं मेरी पत्नी द्वारा उनकी पुत्री बनकर, जाकर जैल में प्रवेश करने पर आया।
31. आपात्काल की समाप्ती की घोषणा के बाद एवं निर्वाचन की घौषणा पर जनता पार्टी के प्रत्याशियौं की घौषणा हुई एवं कुशाभाऊ ठाकरे जी ने मुझे वर्ष 1977 के इस निर्वाचन के संचालन का दायित्व सौंपा।
३२- वर्ष १९७८-८१ की कालावधि में म. प्र. स्टेट बार कोंसिल का सदस्य , निर्वाचन की प्रक्रिया के अंतर्गत रहा।
३३- वर्ष १९७७ में मुझे मंदसोर जिला के शासकीय अधिवक्ता के पद पर नियुक्त किया गया ,एवं वर्ष १९८० तक पदस्थ रहने के पश्चात् मेने पद पर रहने की असमर्थता व्यक्त कर त्याग पत्र दे दिया।
३४- वर्ष १९७७ में मुझे तीन वर्ष की कालावधि के लिए प्रिजनर्स रिलीज ऑन प्रोवेशन ट्रिबुनल का सदस्य नियुक्त किया गया ।
३५- वर्ष १९७९ में नीमच सी आर पी हेड क्वाटर में सेनिक विद्रोह के प्रकरणों में सी आर पी एक्ट के अंतर्गत कमांडेनट्स के न्यायालय स्थापित करने से लगाकर विद्रोहियों के विरुध प्रकरणों की पेरवी के लिए मुझे केंद्रीय शासन की और से विशेष अभियिजक नियुक्त किया गया ।
३६- वर्ष १९७७ में मुझे म. प्र. के राज्यपाल [ कुलाधिपति ] के द्वारा विक्रम विश्व विद्यालय की  कार्य परिषद् -सिंडिकेट का सदस्य प्रतिनिधि नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति के कल में मेने कई महत्त्व पूर्ण जाँच प्रकरणों की अध्यक्ष नाते जाँच की।
३७-  वर्ष १९८० में मुझे मंदसोर विभाग के कार्यवाह का संघ(आर.एस.एस.) की और से दायित्व सोपा गया ।
३८- वर्ष१९८६ में शिवपुरी में संघ की वार्षिक बैठक में मुझे सह प्रांतीय कार्यवाह का दायित्व सोंपा गया ।
३९-  वर्ष १९७८ में मुझे प्रान्त में डॉ. हेडगेवार जन्म शताब्दी समारोह का सयोजक नियुक्त क्या गया।
४०-वर्ष १९८९-९३ के लिए कुलाधिपति-गवर्नर म. प्र. के द्वारा विक्रम विश्व विद्यालय की कार्य परिषद् - सिंडिकेट का सदस्य-प्रतिनिधि नियुक्त किया गया । इस नियुक्ति के कालावधि में भी कई महत्व पूर्ण जाँच मुझे सोपी गयी ।
४१- इसी कालावधि में विक्रम विश्व विद्यालय की मानविकी अद्ययनशाला (राजनीती विज्ञानं ) के तत्वाधान में आयोजित अखिल भारतीय समारोह के आयोजन में देश एवं जर्मनी के विद्वानों के मध्य मेरे द्वारा योजना पूर्वक करवाए श्री  दत्तोपंत ठेन्गनी के शोध पूर्ण विस्तृत आलेख के वचन को न केवल सराहना प्राप्त हुई ,अपितु जर्मनी से आए प्रतिनिधियों ने, मेरे माध्यम से ठेगनी जी से भेंट भी की, तथा बंगाल से आये वामपंथी विद्वान हतप्रभ रहे।
४२- इसी कालावधि में, अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित होने वाली विवाद का विषय रहती आई "इतिहास परिषद्" का समारोह भी उज्जैन विक्रम विश्व विद्यालय के तत्वाधान में मेरी विशेष योजना से आयोजित हुआ ।
४३- वर्ष 1990 के मई  माह  में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग मल्हार आश्रम इंदौर के लिए मुझे कार्यवाह नाते दायित्व सोपा गया।
४४- म. प्र. के श्रम विभाग की और से मुझे दिनांक ०२-०३-१९९१ के द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अर्हता के आधार पर मध्य प्रदेश "अध्यक्ष  आद्योगिक न्यायालय एवं चेयरमेन न्यायाधिकरण इंदौर के पद पर नियुक्ति का आदेश प्राप्त होने पर दिनांक ०५-०३-1991 , को इंदौर में पद भार ग्रहण किया ,तथा १६-०४-१९९४ तक पदस्थ रहा।
४५- उक्त पदों से सेवा निवृति के तुरंत पश्चात् मुझे भोपाल में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग में वर्गाधिकारी के नाते एक माह लिए उपस्थित होने के लिए निर्देश प्राप्त हुआ।  अत: भोपाल रहा एवं वर्ग समाप्ति पर मनासा पंहुचा।
४६- मनासा पहुचने के पश्चात् पेतृक कृषि भूमि पर संतरे का बगीचा विकसित किया।
४७- दिनांक २०-१२-१९९७ का एक पत्र माननीय सुरेश जी सोनी प्रान्त प्रचारक के द्वारा   लिखित प्राप्त हुआ । इस पत्र में मेरी आद्योगिक न्यायालय में प्रदर्शित कार्य शेली को प्रदेश में प्राप्त सराहना से प्रशंसित भी किया गया ।
४८- भारत शासन के संस्कृति मंत्रालय से भारतीय गणराज्य की ५० वी वर्ष गांठ परभारतीय संबिधान में सुधार विषय पर परिचर्चा के सत्र तथा उत्सव , म. प्र. में आयोजित करने के लिए गठित समिति का सदस्य नियुक्त करने का पत्र दिनांक १२ ओक्टूबर २००० , प्राप्त हुआ, अत: उदबोधन से आयोजन करने तक  में सहभागिता रही।
४९-म. प्र. के राज्य पाल-कुलाधिपति से दिनांक १५-१२-२००० का पत्र प्राप्त हुआ। इस आदेश के द्वारा मुझे विक्रम विश्व विद्यालय के कुलपति के चयन हेतु त्रिसदस्यी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया, अत: दायित्व का निर्वाह कर कुलपति की नियुक्ति में सहभागी हुआ।
५०- वर्ष २००९-१०-११ मेरा अध्ययन लेखन एवं प्रकाशन का कार्य काल रहा। इस काल खंड में रामायण, महर्षि अरविन्द एवं महात्मा गाँधी की टिप्पणियों से विभूषित, बाल गंगाधर तिलक द्वारा रचित भगवत गीता रहस्य अथवा कर्मयोग शास्त्र, एवं सभी वेदों का एवं आदर्श महापुरुषों के जीवन ग्रंथो आदि का पठन किया गया।
51- पूरे जीवन समय के अनुसार औदीच्य ब्राह्मण महासभा ओर अन्य सामाजिक गीतिविधी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष शामिल रहा, डॉ लक्षमी नारायण जी पांडे महासभा अध्यक्ष के साथ हर समय , महासभा कार्यकारिणी सदस्य के रूप में सतत सक्रिय रहा।
लेखन कार्य में मेरे द्वारा लिखे गए लेख 
  1. २००९ में, भारतीय वांगमय में सामाजिक न्याय की अवधारणा के परिपेक्ष में भारतीय संबिधान
  2. जुलाई २००९ में अखंड भारत एक विवेचना ,
  3. सितम्बर २००९में, "इतिहास के झरोखों से, पूर्वांचल (नेफा)के परिपेक्ष में चीन कल आज और कल" 
  4. नवम्बर २००९ में "शासकीय व्यवस्था से निर्वाचन के प्रत्याशियों के प्रचार व्यय " भोपाल से प्रकाशित "स्वयंसेवक" मासिक पत्रिका में प्रकाशित हुए हें। 
  5. एक और आलेख "भारतीय करण" के सन्दर्भ में लेखबद्ध हुआ है।
  6. १५ अगस्त २००९ के "नई दुनिया" समाचार पत्र में मेरा लेख "डगमगा रहा हे न्याय के प्रति आस्था का भाव" शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुआ।
  7.  एक आलेख " अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन (आय.एल.ओ.)एवं भारत की भूमिका " इंदौर स्तिथ डाक कर्मचारी यूनियन के द्वारा प्रकाशित स्मारिका का अंग है
  8.  एक आलेख, डाक तार कर्मचारी सहकारी संस्था के स्वर्ण जयंती समारोह में मेर अभिनन्दन के अवसर पर पड़ा गया, मेरा उदबोधन सहकारिता आन्दोलन को समर्पित है। इस अवसर पर इस संस्था के विशाल भवन की बाहरी दीवाल पर मेरे आथित्य में संस्था के मुझ जन्मदाता का स्मरण करता शिलापट्ट भी वर्ष २००९ की २६ जनवरी को स्थापित हुआ है।
  9. औदीच्य बंधु पत्रिका ओर अन्य कई पत्र पत्रिकाओं मेँ भी कई लेख प्रकाशित। 


  • सामाजिक अपराध की समीक्षात्मक विवेचना: श्री विश्वनाथ यजुर्वेदी  पूर्व अध्यक्ष म.प्र आद्योगिक न्यायालय एवं चेयरमेन म.प्र. आद्योगिक न्यायाधिकरण इंदौर.  
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     जीवन की कठिन परस्थितियों में संघर्ष करता ईमानदार व्यक्तित्व किस प्रकार से उचाईयों को छु लेता है, यह बात हमको उनके व्यक्तित्व से सीखने मिलती है। 
    निम्न जीवन की सक्षेपिका हमारे आग्रह पर उन्होने स्वयं लिखी है। इसे पड़कर उनके व्यक्तित्व से स्वयमेव ही परिचय हो जाता है। 'इसे प्रकाशित नहीं करना' एसा कहकर उन्होने हमको दिया था। पर यदि प्रकाशित नहीं किया जाता तो प्रेरणा देने वाले इस परिचय से समाज लाभान्वित नहीं हो सकता था। इसी कारण क्षमा याचना सहित प्रकाशित किया जा रहा है। 

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