अपनी तुलिका के धनी एवं अपनी अनूठी चित्रकला के यशस्वी पं; कान्तीचन्द्र भारव्दाज का जन्म राजस्थान की रम्य पर्वतमालाओं से घिरी बूंदी में पं; रामजीवन वैद्य के यहां 2 जुलाई 1936 को हुआ । औदीच्य संस्कारों एवं परंपराओं में पले श्री भारव्दाज ने चित्रकला में स्नातकोत्तर आर्ट आफ मास्टर डिप्लोमा व हेण्डी क्राफटस डिप्लोमा भित्ति चित्रकारी आदि में परीक्षाऐं देकर सफलता प्राप्त की।
1954 में आपने राज्य सेवा में प्रवेश किया। 1994 में आप वरष्ठि उच्च मा॰वि॰ सवाई माधोपुर से चित्रकला व्याख्याता के पद से सेवा निवृत हूए। राजकीय सेवा के पूर्ण काल में श्री भारव्दाज जी अपनी सामाजिक गतिविधियों में सदा अग्रगण्य रहे। ब्रहमतेज से आलोकित मुख मण्डल आभा के आकर्षक व्यक्तित्व में पं॰ कान्तीचन्द्र भारव्दाज का अपना वैशिष्टय अनूठा है। जब अपनी तूलिका से धार्मिक धार्मिक शास्त्र सम्मत प्रकृति सौंदर्य एवं धार्मिक आस्थाओं को चित्रित करते हैं तो दर्शक चित्रकला की सजीवता के नयनाभिराम दर्शन करके अलौकिक आनन्द की अनुभूति करता है।
1954 में आपने राज्य सेवा में प्रवेश किया। 1994 में आप वरष्ठि उच्च मा॰वि॰ सवाई माधोपुर से चित्रकला व्याख्याता के पद से सेवा निवृत हूए। राजकीय सेवा के पूर्ण काल में श्री भारव्दाज जी अपनी सामाजिक गतिविधियों में सदा अग्रगण्य रहे। ब्रहमतेज से आलोकित मुख मण्डल आभा के आकर्षक व्यक्तित्व में पं॰ कान्तीचन्द्र भारव्दाज का अपना वैशिष्टय अनूठा है। जब अपनी तूलिका से धार्मिक धार्मिक शास्त्र सम्मत प्रकृति सौंदर्य एवं धार्मिक आस्थाओं को चित्रित करते हैं तो दर्शक चित्रकला की सजीवता के नयनाभिराम दर्शन करके अलौकिक आनन्द की अनुभूति करता है।
आप इतिहास पुराण साहित्यिक रचनाओं, कहानियों तथा उपन्यासों का एकांकी चित्रांकन तथा श्रीमद भागवत, पन्नाधाय, कामायनी, ऋतुसंहार, मेघदूत, वीर सतसई, पर सफल चित्रांकन कर चुके हैं। पत्रकार पाठयक्रम हेतु पाठ लेखन, मूल्याकंन, शैक्षणिक शोध और विश्लेषण हेतु पुस्तक लेखन, पुस्तकों की डिजाईन बनाना, चार्ट एवं पोस्टर बनाना आदि कार्य करने, चित्रकला और ड्राईग की आप शिक्षा जगत में यशस्वी हैं।
अन्तर्राष्टीय स्तर के मुक्ता, सत्यकथा, सैनिक समाचार, वीणा, राष्टधर्म आदि लगभग 50 पत्रिकाओं में भी आपके लेख एवं चित्र प्रकाशित होते रहे हैं।'' प्राइमरी टीचर्स '' दिल्ली से भी आपकी लेखनी एवं तूलिका प्रकाशित होती रही है।
बूंदी, कोटा, उदयपुर, कालीदास अकादमी उज्जैन में, सामूहिक सूचना केन्द्र कोटा, में अनेक बार एकल राजस्थान की वार्षिक पत्रिका, राजस्थान वार्षिकी में अनेक बार आपकी प्रदर्शनी प्रदर्शित हुई है।
आप अनेक संस्थाओं से सम्मानित एवं पुरस्कृत हैं। तूलिका परिषद व्दारा आपको स्वर्ण पदक, राजस्थान आर्ट टीचर्स एसोसियेशन व्दारा मास्टर आदि अवार्ड, हाडोती उत्सवों, वीर सतसई पर चित्रांकन के लिए राजस्थान साहित्य अकादमी व्दारा शाल भेंट कर, जिला कलेक्टर सवाई माधोपुर व्दारा 15 अगस्त 1992 को सम्मानित, अखिल भारतीय साहित्य परिषद व्दारा श्रीफल शाल से सम्मानित, श्रंगेरी के शंकराचार्य व्दारा प्रमाण पत्र प्रदत्त, आकाशवाणी केन्द्र कोटा, जयपुर ,सवाई माधोपुर से साक्षात्कार प्रसारित, श्रीमदभागवत पर 110 फीट का सबसे बडा चित्र आपके व्दारा बनाया गया। औदीच्य समाज के प्रति सम्प्रति श्री भारव्दाज जी संदेश के संरक्षक हैं, एवं संदेश में कई बार आपने मुखप्रष्ठ को आकर्षक बनाया है। ऐसे ज्ञातिरत्न से अपना सम्पूर्ण औदीच्य समाज गौरवान्वित है।
नोट- राजस्थान निवासी महानुभवों से निवेदन है की पं; कान्तीचन्द्र भारव्दाज जी का फोटो एवं उनकी काला का फोटो प्रकाशनार्थ उपलब्ध करवाने/भिजवाने का कष्ट करें।
संपर्क- डॉ मधु सूदन व्यास 0734-2519707 एम आई जी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन।
नोट- राजस्थान निवासी महानुभवों से निवेदन है की पं; कान्तीचन्द्र भारव्दाज जी का फोटो एवं उनकी काला का फोटो प्रकाशनार्थ उपलब्ध करवाने/भिजवाने का कष्ट करें।
संपर्क- डॉ मधु सूदन व्यास 0734-2519707 एम आई जी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन।
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