श्रीस्थल प्रकाश प्राप्ति स्थान-
MIG 4/1 प्रगती नगर उज्जैन 0734-2519707 .
, द्वितीय खंड या उतरार्ध में दसवीं /ग्यारहवीं सदी, के पाटन(गुजरात) सम्राट मूलराज सोलंकी, का परिचय के साथ प्रायश्चित स्वरूप उनके द्वारा आमंत्रित उत्तर भारत क्षेत्र के तेजस्वी विद्वान शाके 1037 संवत से अधिक ब्राह्मणो के द्वारा अनुष्टान/ प्रायश्चित यज्ञ/ ओर उन्हे ग्राम दान/ ब्राह्मणो के गोत्र, अवतंक आदि आदि का वर्णन है।
श्रीस्थल प्रकाश के प्रथम खंड में प्राचीन श्रीस्थल(सिद्धपुर) ओर वहाँ के पावन तीर्थ स्थानो की भव्यता का वर्णन है
वर्तमान हिन्दी भाषी क्षेत्रों में संस्कृत या गुजराती भाषा को जानने की योग्यता न होने से हिन्दी भाषान्तर की आवश्यकता पूर्त्ति के निमित्त इसका प्रकाशन महासभा द्वारा किया जा रहा है। 244 मुद्रित प्रष्ट, छह रंगीन फोटो प्रष्ट, ओर 12 अन्य भूमिका आधी के प्रष्टों से युक्त सजिल्द रंगीन ग्लेज्ड आधुनिकतम दोहरे कवर प्रष्ट से सजी यह 7 ½ गुणा 9 ½ इंच की जिसके मध्य में राजा मूलराज का ऋषि ब्राह्मणो के स्वागत का चित्र, ओर आस-पास विंदुसरोवर, भगवान गोविंद माधव, भव्य विखंडित रुद्रमहालय के काल्पनिक चित्र से सजी हें। अंतिम कवर प्रष्ट पर भग्न रुद्र महालय के चार चित्र के साथ उज्जैन की क्षिप्रा नदी तट पर सिंहस्थ परिद्रश्य है।
यह आकर्षक ग्रंथ यह कोई कविता कहानी या उपन्यास की तरह रोचक साहित्य----------- अधिक देखें --- लिंक : श्रीस्थल प्रकाश - क्या है?:
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