श्रीमती जयाबेन शुक्ल ।
श्रीमती डॉ जयाबेन शुक्ल से विगत अनेक वर्षो से औदीच्य समाज परिचित है। समाज की मुख्य पत्रिका औदीच्य बन्धु के संपादन कार्य से लम्बे समय से जुडी रही । इन्दौर में औदीच्य महिला मण्डल की गतिविधियों के संचालन में उनका महत्वपूर्ण स्थान रहा है, परंतु उनके सेवा भक्ति और त्यागमय व्यक्तित्व के विविध सोपान बहुत कम व्यक्ति ही जानते हैं। प्रारम्भिक किशोरावस्था में ही सामान्य जीवन के स्वर्णिम भविष्य पर वज्रपात हो जाने से जीवन अन्धकारमय हो गया। वैधव्य की दारूण वेदना दुर्लध्य पर्वत के समान होने से जीवन का प्रगति पथ् अवरूध्द हो गया । परन्तु अपनी सत्व शक्ति, पभु पर अटल विश्वास और पूज्य गुरूवर श्री गोंविदलाल जी शास्त्री के कल्याणकारी मार्गेदर्शन और स्वयं के एकनिष्ठ स्वाध्याय से शिक्षा के उच्च शिखर पर पहुंचने में भगवत कृपा से सफलता प्राप्त की। इसके साथ् ही पूरे परिवार की सेवा में अपने को संलग्न कर दिया। पुष्टि मार्ग वल्लभ सम्प्रदाय के परम्परागत संस्कार के कारण श्री गोवर्धन नाथ जी की भक्ति के प्रति अविचल निष्ठा में अपने को समर्पित कर दिया ।
आपने अपना शोध प्रबन्ध भी महाकवि सूरदास पर वल्लभ दर्शन के प्रभाव पर आदरणीय डॉ गोवर्धन नाथ् जी शुक्ल अलीगढ के मार्गदर्शन में लिखा। आपने भागवत ज्ञान कथा यज्ञ का भी भव्य आयोजन किया था, जिससे औदीच्य समाज और अन्य वैष्णव भक्तों का बडा आध्यात्मिक उपकार हुआ।
========================================================================
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें