पं गोपीवल्‍लभ जी उपाध्‍याय -औदीच्य समाज की विभूतियाँ ।

audichyamp@gmail.com
                                         पं गोपीवल्‍लभ जी उपाध्‍याय 
         पं; गोपीवल्‍लभ जी उपाध्‍याय पूर्णत गांधीवादी एवं स्‍वदेशी आन्‍दोलन से प्रभावित थे। समाज सेवा के साथ साथ साहित्यिक क्षेत्र में भी आप अग्रणी रहे ।
       1918 से 1964 तक आप 7 मासिक पत्र, 4 साप्‍ताहिक ,एवं 2 दैनिक पत्रों के सहायक रहे। इनमें से हिन्‍द केसरी, चित्रमय जगत पूना, त्‍यागभूमि, नवजीवन, भ्रमर, सुदर्शन, हिन्‍दी स्‍वराज्‍य, अखड भारत, नवराष्‍ट, वीणा आदि प्रमुख पत्र हैं, जिनका संपादन आपने किया। 70 आपने कई [70 से अधिक]  मराठी, गुजराती एवं बंगाली भाषा की पुस्‍तकों का अनुवाद किया। आपके द्वरा लिखे गए 400 से अधिक मौलिक विषयों पर लेख विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हें।
        वर्षो तक अ; भा; औदीच्‍य महासभा के मुख  पत्र ''औदीच्‍य बंधु '' के सफल संपादक रहे एवं औदीच्‍य बन्‍धु की व्‍यापकता एवं उसे लोकप्रियता के धरातल पर लाने हेतु जीवन के अंतिम चरण तक निष्‍काम भाव से प्रयासशील रहे । 
       पुज्‍य श्रीलालजी साहब की प्रेरणा  एवं प्रयास से जब औदीच्‍य बंधु का प्रकाशन इन्‍दौर से प्रारंभ हुआ तब आपने वर्षो तक संपादक के दायित्‍व का निर्वाह किया ।
   श्री उपाध्‍याय जी सच्‍चे देशभक्‍त और समाजसेवी थे।  16 मार्च 1998 में आगर में जन्‍म लेकर स्‍वाध्‍याय एवं अध्‍यवसाय व्‍दारा अनेक भाषाओं एवं उनके साहित्‍य का गहन अध्‍ययन किया।
========================================================================
"औदीच्य समाज की विभूतियाँ" "औदीच्य गोरव" के शीर्षक से  हमको जेसे भी नई जानकारी प्राप्त होती हे देने का प्रयत्न करते हें। हम यह भी जानते हें की प्राप्त हुई जानकारी कम हो सकती हे फोटो का अभाव भी हो सकता हे। पाठको से अनुरोध हे की इस श्र्ंखला में ओर भी कई रत्न हें, उनका परिचय फोटो आदि यदि आप उपलब्ध करते हें तो हम आपके सोजन्य से प्रकाशित कर आभारी होंगे। 

कोई टिप्पणी नहीं: