राजस्थान के दक्षिण में भूतपूर्व डूंगरपूर रियासत के एक छोटे से 'साबला' नामक ग्राम में माघ शुक्ल पंचमी, संवत 1771 को औदीच्य ब्राहमण परिवार में सन्त शिरोमणी श्री मानवजी का जन्म हुआ था। उनके पिता भगवतदत्त कर्त्तव्यनिष्ठ ब्राहमण थे। 12 वर्ष की आयु में मावजी घर छोड कर सोम जाखड और माही नदी के संगम पर एक गुफा में तपस्या करने गये और भगवद साक्षात्कार प्राप्त किया।
कहा जाता है कि अपनी योग सिध्दी से मावजी पानी के उपर नंगे पैर चल सकते थे। एक बार जब वे डूंगरपूर राजधानी में आये वहां के तत्कालीन महाराज ने इन्हें तालाब पर चलने की प्रार्थना की। मावजी ने उत्तर दिया राजन तालाब पर मैं क्या चलूं सब चलेगें। ऐसा कह कर मावजी चले गये। थोडे समय बाद वह विशाल तालाब जिस पर चलने के लिए मावजी से कहा था, बिल्कुल सूख गया और इस प्रकार मावजी महाराज की वाणी सत्य हुई ।
कहा जाता है कि अपनी योग सिध्दी से मावजी पानी के उपर नंगे पैर चल सकते थे। एक बार जब वे डूंगरपूर राजधानी में आये वहां के तत्कालीन महाराज ने इन्हें तालाब पर चलने की प्रार्थना की। मावजी ने उत्तर दिया राजन तालाब पर मैं क्या चलूं सब चलेगें। ऐसा कह कर मावजी चले गये। थोडे समय बाद वह विशाल तालाब जिस पर चलने के लिए मावजी से कहा था, बिल्कुल सूख गया और इस प्रकार मावजी महाराज की वाणी सत्य हुई ।
मावजी बडे ज्ञानी और योगी थे। इन्होने अनेक शिष्यों को धर्मोपदेश सुनाया और दीक्षा दी। आप भगवदभक्ति और भजन पर विशेष जोर देते थे। मावजी ने पांच ग्रन्थ और पचासों छोटी मोटी पुस्तकें लिखी थी, जिनमें भूतकाल, वर्तमान तथा भविष्य संबंधी बातें लिखी हैं। जिनमें से एक ग्रन्थ पेशवा को दिया था, तथा शेष जीर्णावस्था में '' सावला'' के मन्दिर में मौजूद है। बागड प्राप्त के सर्वश्रेष्ठ योगीराज मावजी महाराज संवत 1901 में परमधाम सिधारे। मावजी महाराज की पुण्यमयी तपस्या भूमि में प्रत्येक वर्ष एक बडा मेला लगता है। सावला के हरि मन्दिर पीठ पर स्वामी अच्युता नन्द जी पीठासीन है जो सबके श्रध्दा के केन्द्र है ।
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2 टिप्पणियां:
Sidh Yogi shree Mawji ki adbhut katha ko padhkar bda achcha lga, ab aise santa kahaan? Aajkal ke santon ke baare me itani sachchi kahin nahi dikhai deti he.
Sidh Yogi shree Mawji ki adbhut katha ko padhkar bda achcha lga, ab aise santa kahaan? Aajkal ke santon ke baare me itani sachchi kahin nahi dikhai deti he.
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